सरसो खाने के फायदे :- Mustered Seeds Khane ke Fayde

राई खाने के फायदे :- Mustered Seeds Khane ke Fayde
राई की गिनती सरसों की जाति में होती है। इसका दाना छोटा व काला होता है। छोटी-छोटी गोल-गोल राई लाल और काले दानों में अक्सर मिलती है। विदेशों में सफेद रंग की राई भी मिलती हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। राई ग्रीष्म ऋतु में पककर तैयार होती है। राई के बीजों का तेल भी निकाला जाता है।
राई के कई फायदे होते है यह एक गुणकारी मसाला है। इसमें भी काफी औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका लगभग सभी तरह के आचारो को बनाने में प्रयोग किया जाता है यह रसोई की शान तो है ही, साथ ही अनेक रोगों को भी भगाती है। बतौर औषधि इसके द्वारा कई रोगों को दूर रखा जा सकता हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। इसके छोटे-छोटे दाने होते हैं, जो कि गहरे लाल होते हैं। इसका सेवन मसाले के रूप में होता है। इसके अन्दर तेल का अंश भी काफी मात्रा में होता है, जो कि सभी जगह उपलब्ध होता है और इसे खाना बनाने में प्रयोग करते हैं। इसका स्वाद चरपरा और कुछ कड़वाहट लिये हुए होता है। इसकी तासीर गरम होती है, इसीलिए यह पाचक अग्नि को बढ़ाती है, यह रुचिकर होती है। कुछ लोग सरसों तथा राई को एक ही मानते हैं, लेकिन सच यह है कि ये दोनों एक नहीं है। आमतौर पर लोग राई या राई के तेल का प्रयोग केवल आहार के लिए करते हैं।
राई के औषधीय गुण
राई का पानी तो हमारे पेट के लिए बेहद फ़ायदेमंद रहता है। जिन्हें सांस की बीमारी हो, दमा तंग करता हो, जरा-सा चलने से साँस फूलता हो, उसे राई की चाय पिलाएँ।
यदि पेटदर्द से पीड़ित हों या जुकाम से परेशान, इन सब बिमारियों में राई के लाभ होते है |
यदि जुकाम हो तो राई को थोड़ा पीसकर शहद में मिलाएँ। इस राई मिले शहद को जुकाम का रोगी सूंघे तथा एक चम्मच खा भी ले। हर चार घंटे बाद ऐसी खुराक सूंघे व खाए। जुकाम नहीं रहेगा।
घबराहट के साथ आप बेचैनी और कंपन महसूस कर रहे हैं, तो अपने हाथों और पैरों में राई के पेस्ट को मलने से आपको आराम मिलेगा |
बच्चों के पेट में अफारा होने पर राई का लेप नाभि के चारों तरफ करना चाहिए।
यदि दांतों में दर्द हो तो राई को गरम पानी में मिलाकर कुल्ले करने चाहिएं।
पेट में तेज़ दर्द होने पर राई का लेप करने से लाभ होता है। जब कोई चीज पचती न हो और भयंकर बदहजमी हो तो आधा चम्मच राई का चूर्ण पानी में घोलकर पीने से लाभ होता है।
राई की तासीर गर्म होती है इस वजह से रक्तपित्त, रक्तवात, खूनी बवासीर, शरीर में जलन, चक्कर आना, ब्लडप्रेशर बढ़ जाने पर राई के सेवन से बचना चाहिए।
हैजे के रोगी को जब उल्टियां और दस्त हो रहे हों और बहुत परेशानी हो, घर में किसी प्रकार की दवाई उपलब्ध न हो तो उस समय पेट पर राई का लेप करना लाभदायक सिद्ध होता है।
बदहजमी अथवा किसी अन्य कारण से जब हिचकियां आती हैं, तो पानी के साथ चुटकी भर नमक और राई देने से लाभ होता है।
अपचन रोग खाते हैं तो पचता नहीं। कभी खट्टी डकार है तो कभी गैस बनती है। ऐसी अवस्था में एक चौथाई चम्मच राई का पिसा चूर्ण लेकर आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें। अपचन की शिकायत नहीं रहेगी।
राई और सरसों का तेल भी निकाला जाता है। राई के तेल को गठिये की सूजन अथवा दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है। लकवे के रोगियों को भी राई के तेल की मालिश की जाती है। मालिश के बाद शरीर के अंग को कपड़े से ढक देना चाहिए।
जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत हमेशा रहती है, कांजी उन्हें पेट साफ करने में मदद करती है। यदि इसका सेवन भोजन के पहले किया जाए तो यह भूख बढ़ाती है और आहार में रुचि पैदा करती है।